सूत्र :देवदत्तो गच्छतीत्युपचारादभि-मानात्तावच्छरीरप्रत्यक्षोऽहङ्कारः 3/2/15
सूत्र संख्या :15
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : ‘‘देवदत्त चलता है’’ऐसा ज्ञान शरीर में जो अहंकार है, उसके कारण उपचार से होता है। क्योंकि जिस-जिस वस्तु में अहंकार होता है उस-उसके नाश में दुःख होता है, और जिसमें अहंकार नहीं होता उसके नाश में दुःख नहीं होता। जब तक शरीर में अभियान है तब तक उसकी निर्बलता को उपने में आरोपण करता है। इसी प्रकार उपचार से ही ‘‘देवदत्त जाता है’’ ऐसा ज्ञान होता है। विपक्षी शंका करा है-