सूत्र :संदिग्धस्तूपचारः 3/2/13
सूत्र संख्या :13
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यद्यपि आत्मा में मुख्यतया (वास्तव में) और शरीर में उपचार से ‘‘मैं’’ इस शब्द का प्रयोग होता है, ऐसा कहा है, परन्तु यह उपचार निश्चयात्मक नहीं किन्तु सन्दिग्ध है, क्योंकि इसका प्रमाण क्या है कि शरीर में तो उपचार से है और आत्मा में वास्तविक है? सम्भव है कि शरीर में मैं वास्तविक हो, और आत्मा में उपचार से प्रयोग किया जाता है? इसलिए यह बात निश्चयात्मक नहीं किन्तु सन्दिग्ध है, अर्थात् कौन वास्तविक है, और कौन औपचारिक है, यह नहीं जाना जाता। इसका उत्तर देते हैं कि-