DARSHAN
दर्शन शास्त्र : वैशेषिक दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :सामान्यतो दृष्टाच्चाविशेषः 3/2/7
सूत्र संख्या :7

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : यदि कहो कि प्रत्यक्ष से व्याप्ति के सिद्ध होने पर सामान्यतों दृष्ट से इन्द्रियों का आत्मा की उपस्थिति में होना लिंग हो जावेगा तो उससे अनुमान हो ही नहीं सकता क्योंकि अनुमान पत्यक्ष से व्याप्ति का ज्ञान प्राप्त करके हुआ करता है। जहां व्याप्ति सिद्ध न हो वहां अनुमान किस प्रकार हो सकता है? क्योंकि इच्छा द्वेष और सुख-दुःख आदि आठ द्रव्यों के सहारे नहीं रहते इससे ‘‘अनुमान होता है’’ ऐसे कहना भी ठीक नहीं, क्योंकि इससे आत्मा की सिद्धि नहीं होती, किन्तु सन्देह है कि ये किसके सहारे रहते हैं। अर्थात् ये मन के सहारे रहते हैंया आत्मा के या किसी और के। इससे ये निश्चयात्मा ज्ञान नहीं हो सकता कि इन्द्रियों से पृथक् कोई आत्मा है। प्रश्न- जब अनुमान और प्रत्यक्ष से नहीं जाना जाता तो आत्मा की सत्ता में प्रमाण क्या है जिससे लोगों ने आत्मा के होने को माना हुआ है?