सूत्र :न चासिद्धं विकारात् 2/2/29
सूत्र संख्या :29
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : शब्द का उत्पन्न होने वाला होना सत्य है, किन्तु प्रकट होने वाला मानना चाहिए यह सत्य नहीं, क्योंकि विकार से शब्द का उत्पनन होने वाला सिद्ध होता है यथा-नगाड़े पर जोर से चोट लगायें तो उच्च शब्द निलेगा और हलकी लगाएं तो अलका शब्द निकलेगा। ऐसे ही प्रत्येक शब्द के कारण की अवस्था उत्पन्न होने वाली होने में तो ऐसे विकार हो सकते हैं किन्तु प्रकट होने में ऐसे विकार नहीं हो सकते। इसलिए उत्पन्न होने वाला ही मानना चाहिए प्रकट होने वाला नहीं, क्योंकि कारण के विकार से कार्य में विकार आने से स्पष्ट अनुमान होता है कि शब्द कारण से उत्पन्न होता है न कि प्रकट होता है।
प्रश्न- यह प्रकट होने का ही लक्षण है कि उच्च या मन्द होता है जैसे पंखे आदि के कारण वायु भी तीव्र या मन्द हो आती है।