सूत्र :संयोगाद्विभागाच्च शब्दाच्च शब्दनिष्पत्तिः 2/2/31
सूत्र संख्या :31
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : शब्द की उत्पत्ति तीन प्रकार से होती है-संयोग, विभाग और शब्द से भी शब्द की उत्पत्ति होती है। जैसे नगाड़े और चोव के संयोग से शब्द उत्पन्न होता है, परन्तु जां वृक्ष के टूटने से बांस कटने आदि से शब्द उत्पन्न होता है, उसका कारण संयोग नहीं होता, वहां विभाग से शब्द उत्पन्न होता है। जहां दूर से वंशी की ध्वनि आति है, वहां संयोग विभग दोनों के न होने से शब्द से शब्द की उत्पत्ति होती है।
व्याख्या :
प्रश्न- जब शब्द, इस प्रकार, तीन कारणों से उत्पन्न होता है तो वह आकाश का गुण किस प्रकार कहला सकता है?
उत्तर- ये शब्द के असमवाय कारण हैं, और आकाश असमवाय कारण है। जबकि गुण और गुणी में भी असमवाय सम्बन्ध रहाता है, इसलिए आकाश में वह सम्बन्ध विद्यमान हैं, केवल कार्यरूप की उत्पत्ति की चर्चा है, कारण रूप शब्द तो आकाश का गुण है ही। शब्द के अनित्य होने में और हेतु देते हैं।