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न्याय दर्शन-COLLECTION OF KNOWLEDGE
DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

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सूत्र :दिग्देश-कालाकाशेष्वप्येवं प्रसङ्गः II2/1/22
सूत्र संख्या :22

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : दिशा, देश, काल और आकाश के बिना भी प्रत्यक्ष नहीं हो सकता। इस वास्ते प्रत्यक्ष के लक्षण में इनके कथन की भी आवश्यकता थी क्योंकि ये वस्तु प्रत्येक स्थान और प्रत्येक समय में मन से सम्बन्ध रखने वाली हैं इनका सम्बन्ध किसी वस्तु से टूट ही नहीं सकता। इस वास्ते जिस प्रकार आत्मा का मन से और मन का इन्द्रियों से और इन्द्रियों का विषयों से सम्बन्ध को ज्ञान का कारण माना है। इसी तरह पर दिशा कालादि को भी ज्ञान का कारण मानना चाहिए। क्योंकि जिसके बिना जो चीज उत्पन्न नहीं हो सके, ‘‘वह उसका कारण कहलाता है। जबकि दिया कालादि के संयोग के बिना ज्ञान उत्पन्न हो नहीं सकता तो साफ तौर पर यह ज्ञान का कारण है। किसी वस्तु की उत्पत्ति के सब कारण बयान न करना ठीक नहीं अतएव प्रत्यक्ष का लक्षण असम्पूर्ण है। अब इसका उत्तर महामा गौतम जी देते हैं।