सूत्र :हेत्वाभासाश्च यथोक्ताः II5/2/25
सूत्र संख्या :25
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पहले अध्याय के दूसरे आह्निक में 5 हेत्वाभासों का वर्णन किया गया हैं, जिनके नाम ये हैं - (1) सव्यभिचार, (2) विरुद्ध, (3) प्रकरणसम, (4) साध्यसम और (5) कालतीत। इसके लक्षण वहीं पर दिखलाये जा चुके हैं इसलिए यहां पर वर्णन करने की आवश्यकता न समझ कर सूत्रकार ने केवल निर्देश कर दिया है। इन पांचों को मिला कर कुल 26 निग्रहस्थान हो जाते है।
इति पञ्चमाध्यायस्य द्वितीमाहन्किम्
समाप्तश्चार्य ग्रन्थ