DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
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Darshan

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सूत्र :नात्ममनसोः संनिकर्षाभावे प्रत्यक्षोत्पत्तिः II2/1/21
सूत्र संख्या :21

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : आत्मा और मन के सम्बन्ध बिना प्रत्यक्ष ज्ञान का उत्पन्न होना असम्भव है। जैसे इन्द्रिय और अर्थ के मध्य परदा होने से उसका उसका सम्बन्ध होने पर किसी वस्तु का ज्ञान नहीं होता। इसी तरह आत्मा और मन का सम्बन्ध न होने पर भी ज्ञान नहीं हो सकता। जैसा कि प्रायः देखने में आता है कि मन के दूसरी ओर लगे होने पर किसी आवाज के सुनने पर भी उसका ठीक-ठीक मतलब समझ में नहीं आता और प्रायः बहुत सी वस्तु सामने से निकल जाती है और उनका ज्ञान नहीं होता। इसलिए साफ तौर पर पता लगता है, कि बिना आत्मा और मन के सम्बन्ध के ज्ञान का उत्पन्न होना असम्भव है। और असम्भव का उपदेश ठीक नहीं होता, इस वास्ते प्रत्यक्ष का लक्षण ठीक नहीं। इसके सिवाय लक्षण में और कभी बतलाते हैं।

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