सूत्र :विज्ञातस्य परिषदा त्रिरभिहितस्याप्यप्रत्युच्चारणमननुभाषणम् II5/2/17
सूत्र संख्या :17
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जाने हुए विषय को सभा से तीन बार कहे जाने पर भी जो प्रकट नहीं करता, वह अननुभाषण नामक निग्रहस्थान में पड़ता हैं, क्योंकि जब भाषण ही न करेगा, तो अपने पक्ष का खण्डन तथा प्रतिवादी के पक्ष का खण्डन क्या करेगा ?
अब अज्ञान का लक्षण कहते हैं:-