सूत्र :कार्य-व्यासङ्गात्कथाविच्छेदो विक्षेपः II5/2/20
सूत्र संख्या :20
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कार्य के बहाने से प्रकृतवाद को टाल देना विक्षेप नामक निग्रहस्थान कहलाता हैं। जैसे इस समय मुझे अमुक आवश्यक काम करना है, उसको पूरा करके फिर बात-चीत करूंगा। इत्यादि कार्य के बहाने से वाद को बन्द कर देना निक्षेप निग्रहस्थान है। भतानुज्ञा का लक्षण कहते हैं:-