सूत्र :अनि-ग्रहस्थाने निग्रहस्थानाभियोगो निरनुयोज्यानुयोगः II5/2/23
सूत्र संख्या :23
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो किसी निग्रहस्थान में न आया हो, उसको भी निगृहीत बतलाना निरनुयोज्यानुयोग निग्रहस्थान कहलाता है। अब अपसिद्धान्त का लक्षण कहते हैं:-