सूत्र :अवयवविपर्यासवचनमप्राप्तकालम् II5/2/11
सूत्र संख्या :11
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : प्रतिज्ञा, हेतु, उदाहरण, उपनय और निगमन ये पांच वाक्यों के अवयव प्रथमाध्याय में जो कहे गये हैं, इनको कमपूर्वक न कहकर लौट पौट कर कहना अप्राप्तकाल निग्रहस्थान हैं। जैसे कोई पहले प्रतिज्ञा को न कह कर उदाहरण देने लगे या निगमन से पश्चात् हेतु कहने लगे वह अप्राप्तकाल निग्रहस्थान में पड़ जाता है। न्यून का लक्षण कहते हैं: