सूत्र :अनुवादे त्वपुनुरुक्तम शब्दाभ्यासादर्थविशेषोपपत्ते II5/2/15
सूत्र संख्या :15
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : किसी शब्द या वाक्य की विशेष आवश्यकता होने पर पुनः कहना अनुवाद कहलाता हैं और विशेष अर्थ को जताने के लिए यह अनुवाद करना ही पड़ता है जैसे हेतु को कह कर प्रतिज्ञा का पुनर्वचन निगमन कहलाता है। यह हेतु और उदाहरण द्वारा प्रतिज्ञा को सिद्ध करने के लिए किया जाता है। अतएव पुनरुक्त नहीं कहलाता। पुनरुक्त कहलाता। पुनरुक्त किसे कहते हैं: