सूत्र :निग्रहस्थानप्राप्तस्यानिग्रहः पर्यनुयोज्योपेक्षणम् II5/2/22
सूत्र संख्या :22
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो निगृहीत हो गया है, अर्थात् किसी निग्रहस्थान में पड़ गया है, उसको न बतलाना कि अमुक निग्रहस्थान में पड़ा हैं, इसको पर्यनुयोज्योपेक्षण नाम निग्रहस्थान कहते हैं। क्योंकि अपनी निर्बलता को स्वयं कोई नहीं कहता, जब परपक्षी भी उसको नहीं बतलाता तो यही समझा जायगा कि वह वाद के नियमों से अनभिज्ञ है। अब निरनुयोज्योपेक्षण का लक्षण कहते हैं:-