DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :पौर्वापर्यायोगाद-प्रतिसम्बद्धार्थमपार्थकम् II5/2/10
सूत्र संख्या :10

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जिस कथन में पूर्वापर वाक्यों का कुछ सम्बन्ध या अन्वय न हो, उसे अपार्थक कहते है। जैसे दस घोड़े, छः अनार, मधु, चर्म, सिंह आदि असम्बद्ध शब्दों का उच्चारण करना अपार्थक निग्रहस्थान कहलाता हैं। अप्राप्त काल का लक्षण:

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