सूत्र :दृष्टान्ते च साध्यसाधनभावेन प्रज्ञातस्य धर्मस्य हेतुत्वात्तस्य चोभयथाभावान्नाविशेषः II5/1/34
सूत्र संख्या :34
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : दृष्टान्त में जो साक्ष्य का साधक धर्म हैं, हेतु कहलाता है और वह हेतु किसी के अनुकूल होता है और किसी के प्रतिकूल और किसी के साथ उसका सामान्य सम्बन्ध होता है और किसी के साथ विशेष। सामान्य से साधर्म्य और विशेष से वैधर्म्य की उत्पत्ति होती है। केवल साधर्म्य या केवल वैधर्म्य का आश्रय लेकर किसी बात का प्रतिवादन या खण्डन करना ठीक नहीं, क्योंकि ये दोनों सापेक्ष हैं। अतएव प्रतिवादी का केवल साधर्म्य से सबको अनित्य सिद्ध करना अयुक्त है।
अब नित्यसम का लक्षण कहते हैं:-