सूत्र :ज्ञानविकल्पानां च भावाभावसंवेद-नादध्यात्मम् II5/1/31
सूत्र संख्या :31
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : आत्मा में विषय ज्ञान के भावाऽभाव का मन के द्वारा प्रत्यक्ष होता हैं, इसमें मुझे सन्देह है, इसका मुझे निश्चय है, यह वस्तु है और यह नहीं है। इस प्रकार प्रत्यक्ष और अनुमान द्वारा अनेक प्रकार के ज्ञान विकल्प होते है। परन्तु यह अनुभव किसी को नहीं होता कि मैं शब्द का आवरण देखता हुआ उसके अभाव का अभाव देखता हूं। अतएव आत्म संवेदनीय ज्ञानों में न होने के कारण भी शब्द के आवरण की कल्पना ठीक नहीं।
अब अनित्यसम का लक्षण कहते हैं:-