सूत्र :साधर्म्यादसिद्धेः प्रतिषेधासिद्धिः प्रतिषेध्यसामर्थ्यात् II5/1/33
सूत्र संख्या :33
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : प्रतिवादी की दृष्टि में जब वह घट और शब्द का उत्पन्न होना रूप साधर्म्य शब्द के अनित्य होने में पर्याप्त नहीं अर्थात् घट के साथर्म्य से शब्द अनित्य सिद्ध नहीं होता, तब वह घट के साधर्म्य से सब पदार्थों को कैसे अनित्य सिद्ध करता हैं ? और सब में तो शब्द भी आ गया। अतः प्रतिवादी का उक्त कथन प्रतिज्ञा हालि दोष से ग्रस्त है, अतएव अयुक्त है। फिर इसी अर्थ की पुष्टि करते हैं:-