सूत्र :साधर्म्यात्तुल्यधर्मोपपत्तेः सर्वानित्यत्वप्रसङ्गादनित्यसमः II5/1/32
सूत्र संख्या :32
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : साधर्म्य से तुल्य धर्म की उत्पत्ति होने पर सबमें अनित्यत्व के प्रसंग से अनित्यसम प्रत्यवस्थान होता है। जैसे अनित्य घट के साधर्म्य से शब्द अनित्य हैं, ऐसा कहने पर प्रतिवादी कहता है कि घट भी एक पदार्थ है, उसके साथ साधर्म्य होने से सब पदार्थ अनित्य हैं। इस प्रकार अनित्यत्व के प्रसंग से दूषण देना अनित्यसम प्रत्यवस्थान कहलाता है। अब इसका खण्डन करते हैं:-