DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :अनुपलम्भात्मकत्वादनुपलब्धेरहेतुः II5/1/30
सूत्र संख्या :30

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : अभाव के अभाव से यह हेतु निर्मूल है, क्योंकि अभाव भाव का होता है न कि अभाव का। जो वस्तु हैं, उसकी उपलब्धि होती है, जो वस्तु ही कुछ नहीं, उसकी सर्वदा अनुपलब्धि है, फिर उसकी अनुपलब्धि क्या हो सकती हैं ? अतएव अभाव का अभाव न होने से अनुपलब्धिसम प्रत्यवस्थान ठीक नहीं। फिर इसी की पुष्टि करते हैं:-

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