सूत्र :निर्दिष्टकारणा-भावेऽप्युपलम्भादुपलब्धिसमः II5/1/27
सूत्र संख्या :27
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि कोई शब्द के अनित्य होने में यह हेतु दे कि घट के समान प्रयत्न जन्य होने से शब्द अनित्य हैं, इस पर प्रतिपक्षी कहे कि बिना प्रयत्न के वृक्ष के पत्तों से वायु का स्पर्श होने पर जो शब्द होता है, वह भी अनित्य है। इसलिए वादी ने जो प्रयत्न जन्य होने का हेतु दिया है वह ठीक नहीं। इस प्रकार किसी नियत कारण के अभाव में भी साध्य की उपलब्धि होने से उपलब्धिसम प्रत्यवस्थान होता है। अब इसका उत्तर देते हैं:-