सूत्र :उभयसाधर्म्यात्प्रक्रियासिद्धेः प्रकरणसमः II5/1/16
सूत्र संख्या :16
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : दोनों पक्ष की प्रवृत्ति को प्रकिया कहते हैं और वह नित्य और अनित्य के साधर्म्य से उत्पन्न होती है। जैसे किसी ने कहा कि अनित्य घटादि कार्य के सदृश होने से शब्द भी अनित्य है, इस पर प्रतिवादी ने कहा कि नित्य आकाश के सदृश आकृति और शरीर रहित होने से शब्द नित्य है। अर्थात् एक पक्ष अनित्य घट के साधर्म्य से शब्द को अनित्य सिद्ध करता है। दूसरा उसी को नित्य आकाश के साधर्म्य से नित्य सिद्ध करता है। इसी को प्रकरणसम दोष कहते हैं। अब इसका खण्डन करते हैं:-