सूत्र :तथाभावादुत्पन्नस्य कारणोपपत्तेर्न कारणप्रतिषेधः II5/1/13
सूत्र संख्या :13
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : उत्पत्ति से पहले शब्द का अभाव है क्योंकि उत्पन्न होकर ही शब्द कहलाता हैं, उत्पत्ति से पूर्व जब शब्द ही नहीं हैं, तब अनुत्पत्ति को कारण मानकर उत्पत्ति का खण्डन करना ठीक नहीं। प्रयत्न की आवश्यकता (जो अनित्यता का हेतु है) शब्द की उत्पत्ति से ही सम्बन्ध आवश्यकता रखता हैं। तात्पर्य यह कि जब कार्य ही मौजूद नहीं हैं, तो उसके कारण का खण्डन कैसा ? कार्य की विद्यमानता में ही उसके कारण का खण्डन या मण्डन किया जा सकता है। अतएव अनुत्पत्तिसम दोष अनुत्पन्न है। अब संशयसम का लक्षण कहते हैं:-