सूत्र :न हेतुतः साध्यसिद्धेस्त्रैकाल्यासिद्धिः II5/1/19
सूत्र संख्या :19
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यह कहना कि हेतु की तीनों कालों में असिद्धि हैं, ठीक नहीं। क्योंकि बिना हेतु या कारण के कोई साध्य या कार्य सिद्ध नहीं होता। जब तीनों काल में कार्य सिद्धि कारण की अपेक्षा रखती हैं, तब किसी काल में भी कार्य के लिए कारण का अभाव क्यों कर हो सकता हैं। और प्रतिवादी ने जो कहा था कि साध्य के अभाव में वह साधन किसका होगा ? इसका उत्तर यह है कि जो ज्ञेय है वही साध्य हैं, उसी का जानने वाला जो साधन हैं, उसको हेतु कहते हैं और जहां ज्ञेय हैं, वही उसका हेतु भी मौजूद हैं। फिर इसी की पुष्टि करते हैं:-