सूत्र :प्रदीपादानप्रसंग निवृत्तिवाटद्विनिवृत्ति II5/1/10
सूत्र संख्या :10
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जैसे अन्धकार में रक्खे हुए पदार्थों को जानने के लिए दीपक जलाया जाता है किन्तु दीपक को जानने के लिए दूसरा दीपक नहीं जलाया जाता। ऐसे ही जिस हेतु या दृष्टांत से साध्य को सिद्ध किया जाता है, उस हेतु या दृष्टांत की सिद्धि के लिए अन्य हेतु या दृष्टांत की आवश्यकता नहीं होती। क्योंकि जिसको लौकिक व परीक्षक सामान्य रूप से समझ सके, वह दृष्टांत कहलाता है। बस जैसे दीपक की सिद्धि के लिए अन्य दृष्टांत की आवश्यकता नहीं। अब प्रतिदृष्टांन्तसम का खण्डन करते हैं:-