सूत्र :त्रैकाल्यानुपपत्तेर्हेतो-रहेतुसमः II5/1/18
सूत्र संख्या :18
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : हेतु जो साध्य को सिद्ध करने वाला है, तीनों काल में उसकी सिद्धि नहीं हो सकती। क्योंकि यदि यह मानें कि हेतु साध्य से पहले वर्तमान था तो जब साध्य ही न था, तो वह हेतु किसका था और किसको सिद्ध करता था। यदि हेतु को साध्य के पश्चात् माना जावे तो हेतु के अभाव में यह साध्य किसका था, जिससे उसको साध्य कहा जावे। और यदि दोनों का एक साथ होना माना जावे, तो कौन साध्य हैं और कौन हेतु ? इसका निर्णय किस प्रकार होगा ? इसलिए हेतु की तीनों काल में असिद्धि होने से अहेतुसम दोष उत्पन्न होता है।
इसका उत्तर देते हैं:-