सूत्र :प्रागुत्पत्तेः कारणाभावादनुत्पत्तिसमः II5/1/12
सूत्र संख्या :12
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अनुत्पत्ति से खण्डन करना अनुत्पत्तिसम दोष कहलाता है। जैसे प्रयत्न के पश्चात् उत्पन्न होने से घट के समान शब्द भी अनित्य हैं, ऐसा कहने पर प्रतिवादी को यह दोष देना कि उत्पत्ति से पहले अनुत्पन्न शब्द में प्रयत्न के पश्चात् होने वाला धर्म अनित्यता का कारण ही नहीं हो सकता, इससे शब्द का नित्य होना सिद्ध है। इस प्रकार अनुत्पत्ति के दृष्टांत से उत्पत्ति का खण्डन करना अनुत्पत्तिसम दोष कहलाता है। अब इसका उत्तर देते हैं:-