DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
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सूत्र :प्रतिदृष्टान्तहेतुत्वे च नाहेतु-र्दृष्टान्तः II5/1/11
सूत्र संख्या :11

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : दृष्टांत के खण्डन में प्रतिदृष्टांत दिया जाता है, जब दृष्टांत से साध्य की सिद्धि नहीं होतीं तो प्रतिदृष्टान्त से उसका खण्डन क्योंकर हो सकता है ? और प्रतिदृष्टांत की सिद्धि में प्रतिवादी ने कोई विशेष हेतु भी नहीं दिया, यदि प्रतिदृष्टान्त को हेतु माना जावे तो फिर दृष्टान्त ने क्या अपराध किया हैं जो उसको हेतु न माना जावे। अब अनुत्पत्तिसम का लक्षण कहते हैं:-

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