सूत्र :प्राप्य साध्यमप्राप्य वा हेतोः प्राप्त्याविशिष्टत्वादप्राप्त्यासाधकत्वाच्च प्रा-प्त्यप्राप्तिसमौ II5/1/7
सूत्र संख्या :7
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : हेतु साध्य से मिलकर उसको सिद्ध करता है अथवा बिना मिले ? यदि मिलकर सिद्ध करता है तो दोनों में किसी एक की विशेषता न होने से कौन सिद्ध करता है और कौन सिद्ध होता है इसकी कुछ व्यवस्था न रहेगी। अर्थात् मिलने से उनमें साध्य-साधक-भाव नहीं रह सकता। यदि बिना मिले हेतु का साध्य को सिद्ध करना मानोगे तो भी साध्य की सिद्धि न हो सकेगी। क्योंकि दीपक उसी वस्तु को सिद्ध करता है, जिस पर उसका प्रकाश पड़ता है और जिस वस्तु से उसके प्रकाश का मेल नहीं होता, उसको सिद्ध नहीं करता। अतएव प्राप्ति से प्राप्तिसम और अप्राप्ति से अप्राप्तिसम दोष उत्पन्न होते हैं। इसका उत्तर देते हैं:-