सूत्र :साध्यातिदेशाच्च दृष्टान्तोपपत्तेः II5/1/6
सूत्र संख्या :6
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : दृष्टान्त में साध्य का एक धर्म मिलना चाहिए, सब धर्मों के मिलने की कोई आवश्यकता नहीं। यदि सब धर्म मिल जायें तो साध्य में और दृष्टान्त में भेद ही क्या रहा, भेद न रहने से वह फिर साध्य को क्या सिद्ध करेगा ? अतएव साध्यसम प्रतिषेध अयुक्त है। अब प्रतिसम और अप्रतिसम का लक्षण कहते हैं:-