सूत्र :तदभावश्चापवर्गे II4/2/45
सूत्र संख्या :45
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : ज्ञानोत्पत्ति का कारण जो शरीरादि का समुदाय है, धर्माऽधर्म संस्कारों के न रहने से जो शरीररोत्पत्ति का कारण है, मोक्ष में उसका अभाव हो जाता है, शरीर के अभाव से चक्षुरादि इन्द्रियों का भी अभाव हो जाता है, इन्द्रियों का अभाव होने से उनके अर्थों का ज्ञान कैसे हो सकता है। इसलिए मोक्ष में मिथ्याबुद्धि की आशंका करना ठीक नहीं। अब मोक्ष्प्राप्ति के साधन दिखलाते हैः