सूत्र :नार्थविशेषप्राबल्यात् II4/2/39
सूत्र संख्या :39
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : समाधि का सिद्ध होना कठिन ही नहीं, किन्तु असम्भव सा है, क्योंकि इन्द्रियों के अर्थ ऐसे प्रबल हैं बिना इच्छा के भी मनुष्य को अपनी तरफ खींचते हैं। जब तक इन्द्रिय वर्तमान हैं और उनके विषय भी संसार में विद्यमान हैं, तब तक यह असम्भव है कि मनुष्य का मन उनसे हट सके। हटना तो एक तरफ, यह तो उनसे तृप्त भी नहीं होता। इसी की पुष्टि में दूसरा हेतु देते हैं-