सूत्र :अपव-र्गेऽप्येवं प्रसङ्गः II4/2/43
सूत्र संख्या :43
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि बिना इच्छा के अर्थ मनुष्य को अपनी ओर खींच सकते हैं, तो मुक्ति में भी कोई वैषयिक ज्ञान से नहीं बच सकता। क्योंकि मुक्ति में केवल इच्छा ही नहीं होती, संसार के विषय तो बिना इच्छा के भी मुक्त पुरूष को अपनी ओर खीचेंगे। अब इसका उत्तर देते हैं-