DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :क्षुदादिभिः प्रवर्तनाच्च II4/2/40
सूत्र संख्या :40

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : भूख, प्यास, सर्दी, गर्मी और बीमारी आदि उपादियां जो स्वाभाविक हैं, कभी मनुष्य को स्थिति नहीं होने देतीं इन स्वाभाविक रूकावटों के होने से समाधि का होना असम्भव है और समाधि के न होने से तत्त्वज्ञान नहीं हो सकता और तत्त्वज्ञान के अभाव में मुक्ति केवल कल्पित रह जाती है। अब इसका उत्तर देते हैं-

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