सूत्र :अरण्यगुहापुलिनादिषु योगाभ्यासोपदेशः II4/2/42
सूत्र संख्या :42
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : योगाभ्यास का जो उपदेश किया गया है, वह प्रत्येक स्थान पर नीं किन्तु वन, गुहा, नदीतीर आदि एकान्त स्थानों में बैठकर योगाभ्यास करना चाहिए। क्योंकि इन स्थान में विक्षेप नहीं होते या बहुत ही कम होते हैं, जिनका अभ्यास से निवारण किया जा सकता हैं अब शेका करते हैं-