सूत्र :प्रमाणतश्चार्थप्रतिपत्तेः II4/2/29
सूत्र संख्या :29
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जो वस्तु जैसी है, उसका प्रत्यक्षादि प्रमाणें से वैसा ही ज्ञान होता है और जो बात प्रमाणसिद्ध हो, उसको मानने से कोई इन्कार नहीं कर सकता, क्योंकि प्रमाण अर्थ का प्रत्यायक है। यह अमुक वस्तु हैं, ऐसी है, इतनी है, इत्यादि वस्तुवाद को प्रमाण सिद्ध करता है, अतः केवल विज्ञानवाद ठीक नहीं। और भी हेतु देते हैः