सूत्र :संयोगोपपत्तेश्च II4/2/24
सूत्र संख्या :24
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : संयोग भी परमाणुओं का धर्म है, जब तीन परमाणु आपस में मिलेंगे तो दो इधर-उधर होंगे और एक बीच में: संयोग होता है और अपर भाग भी कहलायेंगे। जब परमाणुओं का संयोग होता है और उसके पर और अपर भाग भी होते हैं, तब वे निवयव क्योंकर हो सकते हैं? अब इसका समाधान करते हैं-