सूत्र :व्याहतत्वा-दहेतुः II4/2/27
सूत्र संख्या :27
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जब किसी पदार्थ की सत्ता है, तब बुद्धि से उसका ज्ञान होता है और जो मिथ्या ज्ञान होता है, वह भी दो दो सत्ताओं की विद्यमानता में होता है। यदि दो सत्तायें विद्यमान न हों तो किसका ज्ञान किस में होगा? क्योंकि मिथ्या ज्ञान का अर्क यह है कि अन्य पदाथ में अन्य पदार्थ का ज्ञान होना। जब कोई पदार्थ सिवाय ज्ञान के है ही नहीं तो किसका ज्ञान किस में होता है? और यह जो हेतु दिया है कि तारों से पृथक कपड़ा कोई वस्तु नहीं, यह भी ठीक नहीं। क्योंकि कपड़े को तार कोई नहीं कहता और न कपड़े का काम तार दे सकता है। इसलिए परस्पर विरूद्ध होने से वादी का हेतु अहेतु है। यदि तारों से कपड़ा पृथक वस्तु है तो उनके बिना उसका ज्ञान क्यों नहीं होता?
इसका उत्तर देते हैं-