सूत्र :शब्दसंयोगविभवाच्च सर्वगतम् II4/2/21
सूत्र संख्या :21
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : कोई सावयव पदार्थ आकाश की व्यापकता से रहित नहीं हो सकता। कठिन धातु और पाषाणादिक में भी आकाश विद्यमान है। इसका यह प्रमाण है कि सब पदार्थों में संयोग और शब्द की उत्पत्ति देखने में आती है। अब आकाश के लक्षण कहते हैं-