सूत्र :सव्यभिचारविरुद्धप्रकरणसमसाध्य-समकालातीता हेत्वाभासाः II1/2/45
सूत्र संख्या :45
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : पाँच प्रकार के हेत्वाभास होते हैं, (जो वस्तुतः हेतु तो न हों परन्तु हेत्वाकार प्रतीत होते हों, वे हेत्वाभास कहलाते हैं) प्रथम सव्यभिचार, द्वितीय विरूद्ध, तृतीय प्रकरणसम, चतुर्थ साध्य सम, पंचमकालातीत ।
प्रश्न-सव्यभिचार किसे कहते हैं ?