DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
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Darshan

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सूत्र :सिद्धान्त-मभ्युपेत्य तद्विरोधी विरुद्धः II1/2/47
सूत्र संख्या :47

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जो हेतु अपने साध्य के प्रमाण में उपस्थित होकर उसी का विरोधी हो वह विरूद्ध हेतु कहलाता है । जिस वस्तु को सिद्ध करना हो उसके विरूद्ध हेतु देना विरूद्ध कहलाता है। जैसे किसी ने कहा, पर्वत में आग है, पूछा क्या प्रमाण है ? तो उत्तर दिया कि स्त्रोत वाला होने से चूंकि पर्वत के स्त्रोत से पानी आ रहा है इसलिए पहाड़ में आग है। चूंकि यह युक्ति अनित्य को सिद्ध करने की अपेक्षा उसके अभाव को सिद्ध करती है। अतः इसके विरूद्ध हेतु हैं। प्रश्न- प्रकरण सम हेत्वाभास किसे कहते हैं ?

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