DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :पृथक्चावयवेभ्योऽवृत्तेः II4/2/9
सूत्र संख्या :9

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : यदि यह मान लिया जावे कि अवयवों से अवयवी भिन्न है, वह विभक्त होकर एक-एक अवयव में रहता है तो उसका अवयवों से भिन्न होना सिद्ध नहीं होता। इसलिए अवयवों से भिन्न कोई अवयवी नहीं है। फिर आक्षेप की पुष्टि करते हैं-

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