सूत्र :विद्याविद्याद्वैविध्यात्संशयः II4/2/4
सूत्र संख्या :4
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : जहां सत् और असत् दो प्रकार का ज्ञान होने से विद्या दो प्रकार की है, क्हां इन दोनों का ज्ञान न होने से अविद्या भी दो प्रकार की है। इसलिए एक अवयवी के होने में सन्देह होता है कि उसका ज्ञान सत् है वा असत्? यदि यह कहा जावे कि अवयवी का ज्ञान नहीं होता, वह कल्पित है तो अविद्या के दो भेदों में होने से सन्देह होता है, इसी प्रकार यदि उसका ज्ञान माना जावे तो भी विद्या के दो भेद होने से सन्देह होता है। इसलिए अवयवी सन्दिग्ध है। अब इसका उत्तर देते हैं-