सूत्र :अवयवावयवि-प्रसङ्गश्चैवमाप्रलयात् II4/2/15
सूत्र संख्या :15
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : अवयवी अवयवों के सब देशों में है व एक देश में, जैसे यह प्रश्न किया गया था, ऐसे ही यह प्रश्न भी हो सकता है कि अवयव अवयवी के एक देश रहता है व सब देशों में फिर अवयवों के भी अवयव परमाणुओं के विषय में भी यही प्रश्न होगा यहां तक कि प्रलय पर्यन्त अर्थात् अपने कारण में लीन होने तक यह प्रश्न होता चला जायगा और अन्त में जाकर अभाव या शून्य ही मानना पड़ेगा। फिर यह सन्देह उत्पन्न होगा कि अभाव या शून्य से भाव या उत्पत्ति किस प्रकार हो सकती है? इसका समाधानः-