DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

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Shlok

सूत्र :तेषु चावृत्तेरवयव्यभावः II4/2/8
सूत्र संख्या :8

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : अवयवों में भी अवयवी के न रहने से अवयवी का अभाव मानना पड़ता है क्योंकि अवयवों के भिन्न-भिन्न होने से उनमें एक अवयवी नहीं रह सकता। जब एक-एक अवयव में अवयवी का अभाव है तो सब अवयवों में भी उसका अभाव मानना पड़ेगा। इसलिए अवयवी कोई वस्तु न नहीं। फिर इसी की पुष्टि करते हैं-

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