सूत्र :वृत्त्यनुपपत्तेरपि तर्हि न संशयः II4/2/6
सूत्र संख्या :6
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : यदि अवयवी का अभाव मान लिया जावे तो भी उसमें सन्देह नहीं हो सकता, क्योंकि जो वस्तु है उसी में सन्देह होता है औ जो वस्तु ही नहीं, उसमें सन्देह केसा? अब आक्षेप करता हैः