सूत्र :तदसंशयः पूर्वहेतुप्रसिद्धत्वात् II4/2/5
सूत्र संख्या :5
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : दूसरे अध्याय में हेतुओं से अवयवी का होना सिद्ध कर चुके, जब तक उन हेतुओं का खण्डन न किया जावे, तब तक अवयवी के होने में सन्देह नहीं हो सकता। दूसरे पक्ष में भी अवयवी असंदिग्ध हैं-