सूत्र :न संक-ल्पनिमित्तत्वाच्च रागादीनाम् II4/1/68
सूत्र संख्या :68
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : रागादि आत्मा के स्वाभाविक गुण नहीं है, क्योंकि इनकी उत्पत्ति का कारण संकल्प है। तत्वज्ञान के होने पर जब सारे संकल्प और विकल्प निवृत्त हो जाते हैं, तब कारण के अभाव में रागादि कार्य उत्पन्न नहीं हो सकते। इसलिए रागादि का प्रभाव से अनादि होना तो सम्भव है, परन्तु स्वरूप से ये अनादि कभी नहीं हो सकते। अतएव ऋण, क्लेश और प्रवृत्ति ये तीनों मोक्ष के बाधक नहीं हो सकते।
चतुर्थाध्यायस्य प्रथमममान्हिकं समाप्तम्।