DARSHAN
दर्शन शास्त्र : न्याय दर्शन
 
Language

Darshan

Adhya

Anhwik

Shlok

सूत्र :अणुश्यामतानित्यत्ववद्वा II4/1/67
सूत्र संख्या :67

व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती

अर्थ : जैसे परमाणुओं में श्यामता स्वाभाविक है, किन्तु वह अग्नि के संयोग से नष्ट हो जाती है, ऐसे हो क्लेश सन्तति स्वाभविक होने पर भी अनित्य हो सकती है। इन दोनों हेतुओं को जो ऊपर के सूत्रों में दिए गए हैं और जिनमें स्वाभाविक गुण का नाश माना गया है, अपर्याप्त समझकर सूत्रकार अब अपना मत प्रकाश करते हैं-