सूत्र :न प्रवृत्तिः प्रतिसंधानाय हीन-क्लेशस्य II4/1/64
सूत्र संख्या :64
व्याख्याकार : स्वामी दर्शनानन्द सरस्वती
अर्थ : राग, द्वेष और मोह ये तीन दोष क्लेश का कारण है। ये तीनों दोष जिसके निवृत्त हो जाते हैं, उसकी प्रवृत्ति बन्धन का कारण नहीं होती। प्रवृत्ति बन्धन का कारण वही होती है, जो राग से उत्पन्न होती है और जो निष्काम प्रवृत्ति है, वह कभी बन्धन का कारण नहीं हो सकती। अब इस पर शंका करते हैं-